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सिद्ध लिंगम​

सिद्ध लिंगम

शिवोहम फाउंडेशन में सात चक्रों के साथ प्राण प्रतिष्ठा हो कर एक सिद्धलिंगम को स्थापित किया जाएगा।
सिद्धलिंगम की बाहरी और सात चक्र अंकित है उस चक्र को पूर्ण ऊर्जा के रूप में ठोस तरीके से स्थापित किया जाएगा जिससे वह मानव शरीर के सात चक्र पर सीधा प्रभाव डालेंगे और लोग ध्यान की उच्च अवस्था को प्राप्त कर सकेंगे।

Shiddhalingam
  • यह सिद्ध लिंगम की स्थापना का मुख्य हेतु लोगों को ध्यान का अनुभव करवाना है ता कि लोग आध्यात्मिकता का पूर्ण रूप से अनुभव और आनंद ले सके।
  • सिद्धलिंगम की ऊंचा ई 11 फूट रखी जाएगी।
  • सिद्धलिंगम को तांबे के बहुत बड़े स्वस्ति क पर स्थापित किया जाएगा।
  • तांबे का स्वस्तिक चारों दिशाओं में से हर हमेशा आध्यात्मिक ऊर्जा को खींचता रहेगा।
  • सिद्धलिंगम एक ब्लैक ग्रेनाइट के तरा से हुए खास पत्थर से बनाया जाएगा।
  • यहा प्रवेश करने के लिए 6 चक्र में से पसार होना आवश्यक रहेगा।
  • भारत में जो 12 ज्योतिर्लिंग है वह सिर्फ दो या तीन चक्र की जागृति के लिए है और सब ज्योतिर्लिंग के अलग-अलग ऊर्जा के आयाम है और वह अलग-अलग रूप से काम आते हैं लेकिन सिद्ध लिंग में सातों के सातों चक्रों को प्रस्तावित किया जाएगा।
  • “लिंग” का अर्थ है रूप। सिद्धलिंगम एक गहन ध्यान स्थल होगा जो किसी विशेष विश्वास या विश्वास का पालन नहीं करता है और इसके लिए किसी अनुष्ठान, प्रार्थना या पूजा की आवश्यकता नहीं होगी। एक शक्तिशाली और अद्वितीय ऊर्जा रूप, सिद्धलिंगम अपने क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक मनुष्य के लिए जीवन को उसकी समग्रता में अनुभव करने की संभावना पैदा करेगा।
  • आत्मज्ञान और आध्यात्मिक मुक्ति का द्वार, सिद्धलिंगम एक आध्यात्मिक साधक को एक जीवित गुरु के साथ अत्यधिक निकटता में आध्यात्मिक अभ्यास करने का अवसर प्रदान करेगा यह अवसर पारंपरिक रूप से केवल कुछ चुनिंदा लोगों के लिए ही उपलब्ध है। 
  • सिद्धलिंगम के कक्ष में तांबे के कुछ विशिष्ट प्रकार के बर्तन रहे जायेगे जिससे एक विशिष्ट प्रकार की आध्यात्मिक ध्वनि निकलेंगी जो व्यक्ति को गहेरे से गहरे ध्यान में ले जानेके लिए बहुत सहायक होगी।
  • सिद्धलिंगम के लिए किसी पूजा, प्रार्थना या आराधना की आवश्यकता नहीं है। ध्यान केंद्रित करने या ध्यान लगाने की कोशिश करने की कोई आवश्यकता नहीं है। बस कुछ मिनटों के लिए चुपचाप बैठना ध्यान से अनजान लोगों को भी गहरी ध्यान की स्थिति का अनुभव कराने के लिए पर्याप्त है। सिद्धलिंग के प्रति सबसे अधिक ग्रहणशील होने के लिए, सबसे अच्छा तरीका है कि आप वहां एक भेंट के रूप में मौजूद रहें।
  • सिद्धलिंगम का अनोखापन यह है कि इसमें सभी सात चक्रों को उनके चरम पर प्रतिष्ठित किया गया है। यह उच्चतम अभिव्यक्ति है जो संभव हो सकती है। इसका मतलब है कि अगर आप ऊर्जा को लेकर उसे बहुत उच्च स्तर की तीव्रता तक ले जाते हैं, तो वह तीव्रता की सिर्फ एक खास सीमा तक ही आकार धारण कर सकती है। उसके बाद वह आकार धारण नहीं कर सकती, वह निराकार हो जाती है। अगर वह निराकार हो जाती है, तो लोग इसे अनुभव नहीं कर पाते हैं। ऊर्जा को उस उच्चतम सीमा तक ऊपर उठाकर, जिसके बाद वह आकार धारण नहीं कर सकती, और उस स्थिति में उसे धनीभूत (क्रिस्टलीकरण) करके, इसे स्थिर किया ले जाया गया है और प्रतिष्ठित किया जाएगा।
  • यह प्रतिष्ठा प्रकिया बहुत ही तीव्र होगी, एक साल लगेगा इसको पूर्ण रूप से प्रतिष्ठित करनेमे। कई योगियों और सिद्धपुरुशों ने अनेक प्रयास किए हे ऐसे लिंगम को स्थापित करने की कोशिश की है, लेकिन कई कारणों से, वे इसके लिए जरूरी सारी सामग्रियाँ कभी एक साथ नहीं जुटा सके। आज के बिहार राज्य में पूर्ण रूप से प्रतिष्ठित तीन लिंग थे, लेकिन अब उनका भौतिक आकार नहीं बचा है। उनको पूरी तरह से ढहा कर मिट्टी में मिला दिया गया है और उन जगहों पर लोगों ने घर बना लिए हैं, लेकिन वह ऊर्जा-रूप वहाँ अभी भी मौजूद हैं। हम जानते हैं कि वे कहाँ पर हैं; जहाँ पर उन्होंने ऐसे लिंगम को प्रतिष्ठित करने की कोशिश की, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें कभी पूरा नहीं किया गया।
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